मंगलवार, 11 नवंबर 2008

दोहा त्रिशूल

भिखमंगे से आ गए, कल तक जो थे नाथ।
बना दिया है वोट ने, जनम - जनम का साथ।

जनता आंसू खून के, रोई सालोंसाल।

पड़ा वोट का काम तो, लेकर चले रुमाल।

घूर- घूर कर देखते, इन्हें गांव के लोग।

पाँच साल के लिए फिर, होना वही वियोग।

  • ओम द्विवेदी

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