शुक्रवार, 1 अगस्त 2008

अब दुनिया को जीत फकीरे

उमर न जाए बीत फकीरे।
अब दुनिया को जीत फकीरे।

जब तक बची कौम भूखों की,
रोटी ही है गीत फकीरे।

कैसा रामराज आया है,
स्वयं राम भयभीत फकीरे।

साथ नहीं जो मुट्ठी ताने,
उनको कहो अतीत फकीरे।

समय बांसुरी बजा रहा है,
तुम तो गाओ गीत फकीरे।

  • ओम द्विवेदी

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