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अर्ज़ है...
बुधवार, 30 जुलाई 2008
दोहे - दीप
करे रोशनी आजकल, मंत्रीजी की टीप।
फाइल-
दर-
फाइल
बुझा,
लोकतंत्र का दीप।
सिंहासन के पास है, सिंहासन का घात।
दीप तले हरदम रहे, एक छोटी सी रात।
सूरज ने जब से किया, जुगुनू के संग घात।
लाद
रोशनी पीठ
पर,
घूमे सारी
रात।
ओम द्विवेदी
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